Maa Saraswati Vandna Chalisa Aarti | सरस्वती मां की वन्दनाचालीसा-आरती
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आज हम आप के लिए लेकर आये है, Maa Saraswati Vandna Chalisa Aarti, इस Post के माध्यम से माँ देवी सरस्वती की वन्दना,चालीसा,आरती का संग्रह प्रस्तुत किया है। वसंत पंचमी को देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन पितृ तर्पण किया जाता है और कामदेव की पूजा भी की जाती है।
बसंत पंचमी का महापर्व हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। बसंत पंचमी के दिन ज्ञान, शिक्षा, विद्या, बुद्धि की देवी माँ सरस्वती जी की विशेष पूजा वंदना की जाती है। इस दिन पूजा अर्चना पश्चात माता सरस्वती जी की श्रद्धा पूर्वक आरती करने से माँ प्रसन्न होकर शरणागत की सङी कामनाएं पूरी कर देती है।
सरस्वती को समस्त ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला की देवी माना जाता है। शिक्षण संस्थाओं में वसंत पंचमी बड़े की धूमधाम से मनाई जाती है। और साहित्य, संगीत, कला जैसे कई प्रतियोगिताएं रखीं जाती है।
Maa Saraswati Vandna Chalisa Aarti
Maa Saraswati Vandna-Chalisa-Aarti
मां सरस्वती की पूजा करने की विधि
1. सरस्वती पूजा करते समय सबसे पहले सरस्वती माता की प्रतिमा अथवा तस्वीर को सामने रखना चाहिए। 2. इसके बाद कलश स्थापित करके गणेश जी तथा नवग्रह की विधिवत् पूजा करनी चाहिए। 3. इसके बाद माता सरस्वती की पूजा करें. सरस्वती माता की पूजा करते समय उन्हें सबसे पहले आचमन और स्नान कराएं। 4. इसके बाद माता को फूल, माला चढ़ाएं. सरस्वती माता को सिन्दूर, अन्य श्रृंगार की वस्तुएं भी अर्पित करनी चाहिए। 5. वसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल भी अर्पित किया जाता है। 6. देवी सरस्वती श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, इसलिए उन्हें श्वेत वस्त्र पहनाएं। 7. सरस्वती पूजन के अवसर पर माता सरस्वती को पीले रंग का फल चढ़ाएं। 8. प्रसाद के रूप में मौसमी फलों के अलावा बूंदियां अर्पित करनी चाहिए। 9. इस दिन सरस्वती माता को मालपुए और खीर का भी भोग लगाया जाता है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा पूजिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥