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Shri Shiv Ji Ki Aarti – श्री शिवजी की आरती

Shri Shiv Ji Ki Aarti

Shri Shiv Ji Ki Aarti

नमस्ते दोस्तो, आज हम आप के लिए Shri Shiv Ji Ki Aarti लेकर आये है। श्री शिव जी की आरती, इसकी रचना पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी ने की थी। केशों में गंगा, मस्तक पर दान, गले में नागों की माला, शरीर पर राख धारण कर चीते की खाल धारण करने वाले तीनों नेत्रों वाले व्यक्ति को सभी मनुष्यों की आरती और पूजा करनी चाहिए। ऐसे भगवान भोलेनाथ का नियमित रूप से ध्यान करने से भोले बाबा मनचाहा वरदान देते है।

भगवान शिव की आरती का बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति भगवान शिव की पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मन और घर में सुख, शांति और समृद्धि का वातावरण रहता है। चलिए सब मिलकर भोले बाबा को “श्री शिवजी की आरती” सच्चे मन से आरती करते है।

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श्री शिवजी की आरती

सब बोलो मिलके “ॐ हर हर हर महादेव…शिव सम्भु… “

ॐ जय शिव ओंकारा, भोले हर शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव …..॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥
ॐ जय शिव …..॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
तीनों रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥
ॐ जय शिव …..॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव …..॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥
ॐ जय शिव …..॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगपालन करता ॥
ॐ जय शिव …..॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका ॥
ॐ जय शिव …..॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि दर्शन पावत रुचि रुचि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥
ॐ जय शिव …..॥

लक्ष्मी व सावित्री, पार्वती संगा ।
पार्वती अर्धांगनी, शिवलहरी गंगा ।।
ॐ जय शिव …..॥

पर्वत सौहे पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा ।।
ॐ जय शिव …..॥

जटा में गंगा बहत है, गल मुंडल माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला ।।
ॐ जय शिव …..॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥
ॐ जय शिव …..॥

ॐ जय शिव ओंकारा भोले हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अर्द्धांगी धारा ।।
ॐ जय शिव …..॥
ॐ हर हर हर महादेव….।।

 

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